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लोन कैसे ले प्रकार नियम डॉक्यूमेंट How to process Loans Hindi

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इन डाक्‍यूमेंट की पड़ती है जरूरत documents required for loan
  1. व्‍यक्तिगत पहचान पत्र
  2. एड्रेस प्रूफ
  3. पैन कार्ड
  4. तीन साल का वित्‍तीय लेखा-जोखा का ऑडिटेड रिपोर्ट
  5. तीन साल का इनकम टैक्‍स रिटर्न की कॉपी
  6. तीन साल का सेल टैक्‍स रिटर्न
  7. पिछले छह महीने का बैंक अकाउंट स्‍टेटमेंट
  8. कर अदा करने के बाद बचत या लाभ का पेपर ‘पैट’
कोलैटरल- बैंक आपके बिजनेस लोन की एवज में कोलैटरल (सिक्‍युरिटी) लेता है। यह सिक्‍युरिटी प्रॉपर्टी के रूप में या लिक्विड सिक्युरिटीज के रूप में हो सकता है। बैंक ऐसा प्रावधान लोन रिस्‍क को कवर करने के लिए करता है। बैंक आपके कोलैटरल के वर्थ को देखते हुए लोन की रकम को बढ़ा भी देता है।
क्रेडिट हिस्‍ट्री- यदि आपका फर्म एकल स्वामित्व फर्म, साझेदारी फर्म, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या पब्लिक लिमिटेड कंपनी है तो बैंक लोन देने से पहले आपका क्रेडिट हिस्‍ट्री चेक करता है। इसमें आपकी क्रेडिट हिस्‍ट्री के साथ आपकी कंपनी की भी क्रेडिट हिस्‍ट्री चेक की जाती है। कंपनी की क्रेडिट हिस्‍ट्री केयर या क्रिसिल जैसी रेटिंग एजेंसी से मिली रेटिंग के आधार पर की जाती है। रेटिंग एजेंसियां कंपनी के नेट वर्थ को देखते हुए रेटिंग देती हैं। इस रेटिंग के आधार पर बैंक लोन देता है। अगर, रेटिंग एजेंसी ने आपकी कंपनी की अच्‍छी रेटिंग नहीं की है तो बैंक लोन देने से मना भी कर सकता है।

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कंपनी की वित्तीय स्थिति
बैंक लोन देने से पहले आपकी कंपनी की वित्‍तीय स्थिति का आकलन करते हैं। अगर, कंपनी पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबी हुई है या नकदी प्रवाह कम है तो बैंक लोन देने से मना कर सकता है। बैंक लोन देने से पहले आपकी कंपनी की निवेश रणनीति भी जानना चाहता है। बैंक रिस्‍की बिजनेस में लोन देने से बचना चाहता है।

आर्थिक हालत documents required for loan approval
बैंक द्वारा लोन देने में देश की आर्थिक हालत का भी भूमिका होती है। अगर, आर्थिक सुस्‍ती का दौर है तो बैंक लोन देने से हिचकता है। इसलिए बैंक से लोन लेने में देश के आर्थिक हालात का बहुत बड़ा रोल होता है। देश की विकास दर अच्‍छी होने पर बैंक आसनी से लोन देते हैं और खराब होने पर लोन देने में कोताही करते हैं।

बिजनेस का प्रकार
बैंक से लोन मिलने में बिजनेस का प्रकार भी बहुत महत्‍व रखता है। अगर, आप मैन्‍युफैक्‍चरिंग बिजनेस में हैं तो बैंक से आसानी से लोन मिल जाएगा। अगर, आप स्‍टार्ट-अप या एक सर्विस कंपनी हैं और कोलैटरल नहीं दे रहे हैं तो बैंक से लोन मिलने में थोड़ी मुश्किल आती है। बैंक लोन देने से पहले आपके बिजनेस से होने वाली आय, इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, रिस्‍क आदि का आकलन करते हैं। इसके बाद वे लोन देते हैं।

अगर आपने बिजनेस शुरू कर लिया है, लेकिन इसके विस्‍तार के लिए पैसे की कमी है और मार्केट में सर्वाइव करना मुश्किल हो रहा है तो चितिंत नहीं हों, यह स्थिति सिर्फ आपकी नहीं है, बल्कि पहली दफा कारोबार शुरू करने वाले अधिकांश बिजनेसमैन को इस स्थिति का सामना करना पड़ता है। ऐसे में नए उद्यमियों के पास एक मात्र रास्‍ता होता है बैंक से लोन लेना। अगर, आप भी नए कारोबारी हैं और अपने व्‍यवसाय के लिए बैंक से लोन लेना चाहते हैं तो हम आपको यहां बता रहे हैं लोन लेने की पूरी प्रक्रिया।

बैंक से लोन लेने की पात्रता
बैंक से बिजनेस लोन लेने के लिए आपकी कंपनी एकल स्वामित्व फर्म, साझेदारी फर्म, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या पब्लिक लिमिटेड होनी चाहिए। इसके बाद ही आप बैंक में बिजनेस लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं। बिजनेस लोन के लिए आवेदन करने पर बैंक आप से कोलैटरल डिमांड यानी सिक्‍युरिटी मांगते हैं। कई बैंक कोलैटरल डिमांड नहीं भी करते हैं। सरकार छोटे उद्यमियों को बिजनेस लोन दिलाने के लिए सिडबी और लघु और मध्‍यम उद्यम मंत्रालय से कोलैटरल फ्री सुविधा उपलब्‍ध करा रही है। यह सुविधा क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएसएमई) के तहत उपलब्‍ध करायी जाती है। इसके तहत बैंक बिना किसी कोलैटरल के 1 करोड़ रुपए का लोन मुहैया कराता है


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