Mushroom farming at home india profitability training मशरूम वो सब्ज़ी है जो प्रोटीन से भरपूर होती है. इसके अंदर रेशा और folic amla भी होते हैं जो स्वास्थ्या के लिए बहुत लाभदायक होते हैं.
सेहत के लिए मशरूम को खाना बहुत लाभप्रद होता है. यही कारण है की बाज़ार में इनका कारोबार बढ़ गया है. इसलिए ही मशरूम की खेती आज फायदे का कारया हो रही है.
आइए जाने की मशरूम की खेती कैसे करे mushroom farming at home india
मशरूम उगाने के लिए मौसम का चयन
भारत में मशरूम को उगाने के लिए ऐसा मौसम चुने जिसमें बहुत अधिक सर्दी नहीं हो. यानी मशरूम ठंड के मौसम में नहीं उगे जाते हैं. इसलिए मशरूम की खेती करने के लिए सही मौसम मे से september है. मशरूम की फसल को नामी युक्ता वातावरण की भी ज़रूरत होती है
जो इन महीनो में मिलता है. मशरूम के लिए वातावरण में 90% तक नमी अच्छी रहती है. मशरूम को बाहर या कमरे के अंदर दोनो ही जगह लगाया जा सकता है.
जो इन महीनो में मिलता है. मशरूम के लिए वातावरण में 90% तक नमी अच्छी रहती है. मशरूम को बाहर या कमरे के अंदर दोनो ही जगह लगाया जा सकता है.
मशरूम की खेती के लिए क्यारीओं की तैयारी
मशरूम की खेती के लिए ईटो(ठोस मिटटी) की क्यारियाँ बनाई जाती हैं. यह क्यारियाँ 3 फुट लंबी, 1 फुट चौड़ी और 7 इंच उँची होती हैं. इन पर सीधी धूप या बरसात नहीं आए इसके लिए इनके उपर शेड बना दिया जाता है. इन क्यारियों में बाँस के सहारे धन की पुआल रखी जाती है
जिस पर मशरूम की खेती की जाती है. इन धान के पुआलों को पानी में दल दिया जाता है और 12 से 16 घंटों तक भीगने दिया जाता है. इसके बाद उन्हें फर्श पर रखकर उनसे अतिरिक्त पानी निकल दिया जाता है.
जिस पर मशरूम की खेती की जाती है. इन धान के पुआलों को पानी में दल दिया जाता है और 12 से 16 घंटों तक भीगने दिया जाता है. इसके बाद उन्हें फर्श पर रखकर उनसे अतिरिक्त पानी निकल दिया जाता है.
मशरूम को कैसे बोएँ
मशरूम के बीज को स्पॅन कहते हैं. यह बेज़ार से प्राप्त किए जेया सकते है. मशरूम के बीजों को बोने के लिए पहले से बनाई गयी मिट्टी की पंक्तियों या क्यारीओं में बाँस के ढाँचे रखकर उनके उपर धान के पुआल का गतता रखें. सभी गठरों के सिरों को बाँस से एक और से बाँध दें.
अब इस परत पर मशरूम के बीज बिखेर दें. बीजों के उपर धन या गेहूँ की भूसी या चने का बेसन थोड़ी सी मात्रा में बिखेर दें. इस पहली परत के उपर ही इस तरह ही दूसरी, तीसरी और चौथी परत बनाएँ और इस ढेर को किसीस पारदर्शी प्लास्टिक से धक दें.
अब इस परत पर मशरूम के बीज बिखेर दें. बीजों के उपर धन या गेहूँ की भूसी या चने का बेसन थोड़ी सी मात्रा में बिखेर दें. इस पहली परत के उपर ही इस तरह ही दूसरी, तीसरी और चौथी परत बनाएँ और इस ढेर को किसीस पारदर्शी प्लास्टिक से धक दें.
मशरूम बोने के अन्या तरीके
यदि आपके पास जगह कम है तो आप मशरूम को एक सीधी लंबी जगह में भी उगा सकते हैं. इसका लिए आपको उस जगह पर रस्सी टांगनी पड़ेंगी और उन रस्सियों के सहारे आपको थोड़ी थोड़ी जगश् छोड़कर धन की पुआल के गत्रे रकनहे होंगे और उन पर मशरूम के बीज डालने होंगे. इस प्रकार मशरूम एक सीधी लंबाई रस्सी के सहारे टाँगे धन के पुआल पर उगेंगे.
इसके अलावा मशरूम को कमरे के अंदर भी उगाया जा सकता है. इस्मे धन के पुआल को कमरे में रखकर फर्श और दीवारों पर पानी छिड़का जाता है. कमरे का तापमान 34 से 38 डिग्री सेल्सिस रखा जाता है और कमरे के अंदर नामी की मात्रा 80 से 85 प्रतिशत रखी जाती है. कमरे को 4-5 दिनों के लिए बंद ही रखा जाता है.
इसके अलावा मशरूम को कमरे के अंदर भी उगाया जा सकता है. इस्मे धन के पुआल को कमरे में रखकर फर्श और दीवारों पर पानी छिड़का जाता है. कमरे का तापमान 34 से 38 डिग्री सेल्सिस रखा जाता है और कमरे के अंदर नामी की मात्रा 80 से 85 प्रतिशत रखी जाती है. कमरे को 4-5 दिनों के लिए बंद ही रखा जाता है.
मशरूम की सिंचाई
मशरूम बोने के 7-8 दिन बाद इस पूरे पुआल को 35 डिग्री तापमान के आस पास रखें. जब मशरूम उगाने लगें तो उनके उपर से प्लास्टिक की चादर हटा दें और यदि पुआल सूखा लगे तो उस पर हल्का पानी चडाक दें. मशरूम के बीज बोने के लगभग 3 साप्ताह बाद अकचे विकसित मशरूम दिखने लगेंगे.
मशरूम की फसल
जब मुहरूम का उपरी सिरा जिसे झिल्ली भी कहते हैं फटने लगे तो स्मझ लेना चाहिए की मशरूम की फसल त्ययार हो गई है और उसे निकाला जेया सकता है. तब मुशरूमों को तो लेना चाहिए. मशरूम की फसल लगभग 12 दिनों तक त्ययार होती रहती है.
25 किलोग्राम गीले पुआल में लगभग 4 किलोग्राम मशरूम प्राप्त होते हैं. मशरूम के खेती के लिए बनाई गयी क्यारियों में से प्रत्येक क्यारी में से 2 किलोग्राम तक मशरूम प्राप्त हो जाते हैं. मशरूम की फसल बहुत नाज़ुक होती है और इनका भंडारन 2-3 दीनो के लिए ही किया जात है.
25 किलोग्राम गीले पुआल में लगभग 4 किलोग्राम मशरूम प्राप्त होते हैं. मशरूम के खेती के लिए बनाई गयी क्यारियों में से प्रत्येक क्यारी में से 2 किलोग्राम तक मशरूम प्राप्त हो जाते हैं. मशरूम की फसल बहुत नाज़ुक होती है और इनका भंडारन 2-3 दीनो के लिए ही किया जात है.
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