How to complain in consumer court jago grahak jago उपभोक्ता मामलों की शिकायत के लिए देश में ज़िला स्तर पर उपभोक्ता अदालतें बनी हैं, जहां 20 लाख रुपए तक के मामलों की सुनवाई होती है
कैसे करें आवेदन - उपभोक्ता अदालत में आप सादे काग़ज़ पर लिखकर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अपनी शिकायत आवेदन पत्र में विस्तृत रूप से लिख दें।
उपभोक्ता मामले की शिकायत या सुनवाई के लिए वकील करना ज़रूरी नहीं है, आप ख़ुद ही अपना पक्ष रख सकते हैं। इसके अलावा व्यस्तता अथवा किसी अन्य कारण से सुनवाई में नहीं जा पा रहे हैं, तो कोई परिचित या रिश्तेदार भी आपका प्रतिनिधित्व कर सकता है।
इसके लिए न्यायालय में एक प्राधिकार पत्र प्रस्तुत करना होता है। वैसे, अपना पक्ष रखने के लिए वकील भी किया जा सकता है।
आवेदन के साथ सभी ज़रूरी दस्तावेज़ों (बिल, वाउचर, गारंटी पत्र, सेल डीड आदि) की फोटोकॉपी संलग्न करनी होती है। इसके साथ एक शपथ पत्र भी बनवाना होता है,
जिसमें इस बात का ज़िक्र होता है कि मुक़दमा किसी दुर्भावना से दायर नहीं किया गया है और यह पूर्णतः सत्य साक्ष्यों पर आधारित है। इसके साथ ही जिसके ख़िलाफ़ शिकायत कर रहे हैं,
उस पार्टी को भी एक नोटिस भेजना होता है, ताकि वह भी अदालत में अपना पक्ष रख सके।
एक करोड़ तक के मामले राज्य उपभोक्ता फोरम में आते हैं और इससे ज़्यादा राशि के मामलों की सुनवाई राष्ट्रीय आयोग में होती है। उपभोक्ता मामलों में धोखाधड़ी या उत्पाद की गारंटी अवधि से पहले ख़राब होने के दो साल के भीतर शिकायत दर्ज करवाना ज़रूरी है
इसके साथ ही आपको मामला दर्ज करवाने में हुए विलम्ब और उसकी वजह का भी ज़िक्र करना होगा
Consumer कोर्ट में कंप्लेंट कैसे करें
कैसे करें आवेदन - उपभोक्ता अदालत में आप सादे काग़ज़ पर लिखकर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अपनी शिकायत आवेदन पत्र में विस्तृत रूप से लिख दें।
उपभोक्ता मामले की शिकायत या सुनवाई के लिए वकील करना ज़रूरी नहीं है, आप ख़ुद ही अपना पक्ष रख सकते हैं। इसके अलावा व्यस्तता अथवा किसी अन्य कारण से सुनवाई में नहीं जा पा रहे हैं, तो कोई परिचित या रिश्तेदार भी आपका प्रतिनिधित्व कर सकता है।
इसके लिए न्यायालय में एक प्राधिकार पत्र प्रस्तुत करना होता है। वैसे, अपना पक्ष रखने के लिए वकील भी किया जा सकता है।
आवश्यक दस्तावेज़
आवेदन के साथ सभी ज़रूरी दस्तावेज़ों (बिल, वाउचर, गारंटी पत्र, सेल डीड आदि) की फोटोकॉपी संलग्न करनी होती है। इसके साथ एक शपथ पत्र भी बनवाना होता है,
जिसमें इस बात का ज़िक्र होता है कि मुक़दमा किसी दुर्भावना से दायर नहीं किया गया है और यह पूर्णतः सत्य साक्ष्यों पर आधारित है। इसके साथ ही जिसके ख़िलाफ़ शिकायत कर रहे हैं,
उस पार्टी को भी एक नोटिस भेजना होता है, ताकि वह भी अदालत में अपना पक्ष रख सके।
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