Nail polish disadvantage नाखून पॉलिश क्यों नहीं करना चाहिए nail polish kaise karen महिलाएँ शौक़ से नाख़ूनों की साज-सज्जा करती हैं लेकिन क्या वे उस उत्पाद को समझती भी हैं , जो वे अपने नाख़ूनों पर लगा रही हैं
क्या बाज़ार में उसे लॉन्च करने से पहले पर्याप्त शोध हो चुके हैं ? क्या आपके नेल-पेण्ट में टॉल्यूईन है ? क्या उसमें फॉर्मेल्डिहाइड है ? क्या उसके इंग्रेडिएंटों की सूची में थैलेट का नाम है ? क्या आप जानती हैं कि ये तीनों या अन्य कई रसायन मानव-शरीर में करते क्या हैं ?
प्रजनन-तन्त्र को पहुँचने वाली हानियों से लेकर कैंसर तक , कई शारीरिक दुष्प्रभाव नेल-पेंटों के इन रसायनों से जोड़े गये हैं।
आप जो इन उत्पादों की उपभोक्ता हैं , जोखिम तो उठा ही रही हैं , आपके साथ वह पूरी कॉस्मेटिक-इंडस्ट्री जोखिम के साथ भी लगातार फैक्ट्रियों में लगी है
वहाँ के कारीगर दिन-दिन-भर इन विषैले रसायनों से एक्पोस्ड रहा करते हैं किस लिए ? अब नेल-पेण्ट लगेगा , तो मुँह में नाखून न जाए , ऐसा कैसे होगा ? टॉल्यूईन , थैलेट व फ़ॉर्मैल्डहाइड आपके शरीर में आसानी से प्रवेश कर जाएँगे।
अब इनका दुष्प्रभाव क्या होगा और कितना , यह तो कदाचित् आप जान भी न पाएँ। अब तो क्या नेल-पेण्ट भी न लगाएँ ! ऐसे कैसे जीवन चलेगा ! कई बार ऐसा सुनने को मिल सकता है !
सोचिएगा कि महारानी मैरी अन्तोनिये का जीवन दिन-भर में दस केश-सज्जाओं के बिना नहीं चलता था , जब फ़्रांस की एक आम औरत दिन-भर में एक बार भी अपने बाल ढंग से समेट कर रख नहीं पाती थी।
कई बार जिसे हम अज्ञान या निर्लज्जतावश अपनी आवश्यकता बताते हैं , वह हमारा अपव्ययी विलास होता है।
वह भी सेहत की क़ीमत पर। नाखूनों के प्राकृतिक रंग व स्निग्धता वे हैं , जो उसे कुदरत ने उसे दे रखे हैं। विलास से दूर हटिए। सादगी को चुनिए। स्वास्थ्य व सौन्दर्य स्वयं चुन लिये जाएँगे।
nail polish disadvantages in hindi
क्या बाज़ार में उसे लॉन्च करने से पहले पर्याप्त शोध हो चुके हैं ? क्या आपके नेल-पेण्ट में टॉल्यूईन है ? क्या उसमें फॉर्मेल्डिहाइड है ? क्या उसके इंग्रेडिएंटों की सूची में थैलेट का नाम है ? क्या आप जानती हैं कि ये तीनों या अन्य कई रसायन मानव-शरीर में करते क्या हैं ?
प्रजनन-तन्त्र को पहुँचने वाली हानियों से लेकर कैंसर तक , कई शारीरिक दुष्प्रभाव नेल-पेंटों के इन रसायनों से जोड़े गये हैं।
आप जो इन उत्पादों की उपभोक्ता हैं , जोखिम तो उठा ही रही हैं , आपके साथ वह पूरी कॉस्मेटिक-इंडस्ट्री जोखिम के साथ भी लगातार फैक्ट्रियों में लगी है
वहाँ के कारीगर दिन-दिन-भर इन विषैले रसायनों से एक्पोस्ड रहा करते हैं किस लिए ? अब नेल-पेण्ट लगेगा , तो मुँह में नाखून न जाए , ऐसा कैसे होगा ? टॉल्यूईन , थैलेट व फ़ॉर्मैल्डहाइड आपके शरीर में आसानी से प्रवेश कर जाएँगे।
अब इनका दुष्प्रभाव क्या होगा और कितना , यह तो कदाचित् आप जान भी न पाएँ। अब तो क्या नेल-पेण्ट भी न लगाएँ ! ऐसे कैसे जीवन चलेगा ! कई बार ऐसा सुनने को मिल सकता है !
सोचिएगा कि महारानी मैरी अन्तोनिये का जीवन दिन-भर में दस केश-सज्जाओं के बिना नहीं चलता था , जब फ़्रांस की एक आम औरत दिन-भर में एक बार भी अपने बाल ढंग से समेट कर रख नहीं पाती थी।
कई बार जिसे हम अज्ञान या निर्लज्जतावश अपनी आवश्यकता बताते हैं , वह हमारा अपव्ययी विलास होता है।
वह भी सेहत की क़ीमत पर। नाखूनों के प्राकृतिक रंग व स्निग्धता वे हैं , जो उसे कुदरत ने उसे दे रखे हैं। विलास से दूर हटिए। सादगी को चुनिए। स्वास्थ्य व सौन्दर्य स्वयं चुन लिये जाएँगे।
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