एबीवीपी या अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद - छात्रों के समूह द्वारा स्थापित founded 1948, was formally registered on 9 July 1949, इसकी स्थापना छात्र हित और छात्रों को उचित दिशा देने के लिए किया गया।
विद्यार्थी परिषद का नारा है - ज्ञान, शील और एकता इसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र, भारत इसकी स्थापना का श्रेय प्रोफेसर ओमप्रकाश बहल को दिया जाता है।
सदस्यता 9 जुलाई (स्थापना दिवस) अगस्त अंत से हर साल के लिए शुरू होता है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय पुनर्निर्माण है। विद्यार्थी परिषद के अनुसार, छात्रशक्ति ही राष्ट्रशक्ति होती है। राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिए छात्रों में राष्ट्रवादी चिंतन को जगाना ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का मूल उद्देश्य है।
इसकी मूल अवधारणा राष्ट्रीय पुनर्निर्माण है। इसका नारा है - छात्र शक्ति-राष्ट्रशक्ति। एवीवीपी का आधिकारिक स्लोगन - ज्ञान, शील, एकता - परिषद् की विशेषता है।
देश के सभी विश्वविद्यालयों और अधिकांश कॉलेजों में परिषद की इकाईयां हैं। अधिकांश छात्रसंघों पर परिषद का ही अधिकार है। संगठन का मानना है कि छात्र कल का ही नागरिक नहीं आज का भी नागरिक है।
हर वर्ष होने वाले प्रांतीय और राष्ट्रीय अधिवेशनों के द्वारा नई कार्यसमिति गठित होती हैं और वर्ष भर के कार्यक्रमों की घोषणा होती है। इसकी चार स्तरीय इकाईयां होती है। पहली कॉलेज इकाई, दूसरी नगर इकाई, तीसरी प्रांत इकाई और चौथी राष्ट्रीय इकाई। अब कई स्थानों पर ज़िला इकाई भी बनने लगी है।
विद्यार्थी परिषद का नारा है - ज्ञान, शील और एकता इसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र, भारत इसकी स्थापना का श्रेय प्रोफेसर ओमप्रकाश बहल को दिया जाता है।
सदस्यता 9 जुलाई (स्थापना दिवस) अगस्त अंत से हर साल के लिए शुरू होता है।
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प्रतीक चिह्न |
इसकी मूल अवधारणा राष्ट्रीय पुनर्निर्माण है। इसका नारा है - छात्र शक्ति-राष्ट्रशक्ति। एवीवीपी का आधिकारिक स्लोगन - ज्ञान, शील, एकता - परिषद् की विशेषता है।
देश के सभी विश्वविद्यालयों और अधिकांश कॉलेजों में परिषद की इकाईयां हैं। अधिकांश छात्रसंघों पर परिषद का ही अधिकार है। संगठन का मानना है कि छात्र कल का ही नागरिक नहीं आज का भी नागरिक है।
हर वर्ष होने वाले प्रांतीय और राष्ट्रीय अधिवेशनों के द्वारा नई कार्यसमिति गठित होती हैं और वर्ष भर के कार्यक्रमों की घोषणा होती है। इसकी चार स्तरीय इकाईयां होती है। पहली कॉलेज इकाई, दूसरी नगर इकाई, तीसरी प्रांत इकाई और चौथी राष्ट्रीय इकाई। अब कई स्थानों पर ज़िला इकाई भी बनने लगी है।
कार्य
बांग्लादेशी अवैध घुसपैठ और कश्मीर से धारा ३७० को हटाने के लिए विद्यार्थी परिषद समय-समय पर आदोलन चलाते रहा है। विद्यार्थी परिषद् देशभर के अनेक राज्यों में प्रकल्प चलाती है। इसके अतिरिक्त निर्धन मेधावी छात्र, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिय़े निजी कोचिंग संस्थानों में नहीं जा सकते उनके लिये स्वामी विवेकानंद नि:शुल्क शिक्षा शिविर का आयोजन किया जाता है।
मुखपत्र
हिंदी में नई दिल्ली से प्रकाशित 'राष्ट्रीय छात्रशक्ति' अ.भा. विद्यार्थी परिषद् का मुखपत्र है। यह शिक्षा क्षेत्र की अग्रणी पत्रिका है। इसके संपादक आशुतोष हैं। अवनीश राजपूत, संजीव कुमार सिन्हा संपादक मंडल के सदस्य हैं।
राष्ट्रीय पदाधिकारी
अ.भा. विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं प्रा.नागेश जी एवं श्री श्रीहरि बोरीकर राष्ट्रीय महामंत्री हैं।
संघ एवं विद्यार्थी परिषद
ये आरएसएस का छात्र संगठन है। विद्यार्थी परिषद की अपनी सदस्यता होती है, पदाधिकारियों का चुनाव होता है। इसमें भाजपा से संबंधित कोई भी व्यक्ति इसका किसी प्रकार का सदस्य नहीं होता। भाजपा में जाने से पहले उसे परिषद की सदस्यता छोड़नी होती है।
वैचारिक स्तर पर संघ यानि आरएसएस से इसकी निकटता जगजाहिर है। देश में परिषद के कार्यकर्ता अपना स्थापना दिवस ९ जुलाई को राष्ट्रीय छात्र-दिवस के रूप में मनाते हैं।
बांग्लादेशी अवैध घुसपैठ और कश्मीर से धारा ३७० को हटाने के लिए विद्यार्थी परिषद समय-समय पर आदोलन चलाते रहा है। विद्यार्थी परिषद् देशभर के अनेक राज्यों में प्रकल्प चलाती है। इसके अतिरिक्त निर्धन मेधावी छात्र, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिय़े निजी कोचिंग संस्थानों में नहीं जा सकते उनके लिये स्वामी विवेकानंद नि:शुल्क शिक्षा शिविर का आयोजन किया जाता है।
मुखपत्र
हिंदी में नई दिल्ली से प्रकाशित 'राष्ट्रीय छात्रशक्ति' अ.भा. विद्यार्थी परिषद् का मुखपत्र है। यह शिक्षा क्षेत्र की अग्रणी पत्रिका है। इसके संपादक आशुतोष हैं। अवनीश राजपूत, संजीव कुमार सिन्हा संपादक मंडल के सदस्य हैं।
राष्ट्रीय पदाधिकारी
अ.भा. विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं प्रा.नागेश जी एवं श्री श्रीहरि बोरीकर राष्ट्रीय महामंत्री हैं।
संघ एवं विद्यार्थी परिषद
ये आरएसएस का छात्र संगठन है। विद्यार्थी परिषद की अपनी सदस्यता होती है, पदाधिकारियों का चुनाव होता है। इसमें भाजपा से संबंधित कोई भी व्यक्ति इसका किसी प्रकार का सदस्य नहीं होता। भाजपा में जाने से पहले उसे परिषद की सदस्यता छोड़नी होती है।
वैचारिक स्तर पर संघ यानि आरएसएस से इसकी निकटता जगजाहिर है। देश में परिषद के कार्यकर्ता अपना स्थापना दिवस ९ जुलाई को राष्ट्रीय छात्र-दिवस के रूप में मनाते हैं।
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